Mera Ghanchi Samaj

घाँची समाज के बारे में

घांची जाति का इतिहास घांची जाति का उदभव क्षत्रिय जाति से हुआ है इसलिये घांची समाज को क्षत्रिय घांची समाज के नाम से भी जाना जाता है इसके पीछे एक एतिहासिक कहानी है कि पाटण के राजा जयसिंह सिद्धराज सोलंकी के नवलखा बाग में रोज रात को देवलोक से परियां पुष्प चोरी करके ले जाती थी जिस पर पंडितों ने सलाह दी की देवलोक में बैंगन का पौधा अपवित्र माना जाता है इसलिये फुलों के पास में बैंगन का पौधा लगा देने से परियां पुष्प चोरी नहीं कर सकेगी।

घाँची समाज का अपना एप्प

श्री गुणेशाय नम:

घांची समाज में गोत्र

  • राठौड़
  • गहलोत
  • भाटी
  • परिहार
  • बोराणा
  • चौहान
  • सोलंकी
  • परमार
  • देवड़ा
  • परिहारिया
https://www.youtube.com/watch?v=9X9NLsqAWaI

अतीत गौरव