घांची जाति का इतिहास घांची जाति का उदभव क्षत्रिय जाति से हुआ है इसलिये घांची समाज को क्षत्रिय घांची समाज के नाम से भी जाना जाता है इसके पीछे एक एतिहासिक कहानी है कि पाटण के राजा जयसिंह सिद्धराज सोलंकी के नवलखा बाग में रोज रात को देवलोक से परियां पुष्प चोरी करके ले जाती थी जिस पर पंडितों ने सलाह दी की देवलोक में बैंगन का पौधा अपवित्र माना जाता है इसलिये फुलों के पास में बैंगन का पौधा लगा देने से परियां पुष्प चोरी नहीं कर सकेगी।
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